लॉस्ट स्प्रिंग स्टोरीज ऑफ स्टोलेन चाइल्डहुड शार्ट में कहानी क्या है?

लॉस्ट स्प्रिंग स्टोरीज ऑफ स्टूडेंट चाइल्डहुड मैं उन गरीब बच्चों की दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया है

जो इस दुनिया में व्याप्त सामाजिक आर्थिक स्थिति के कारण अपने बचपन की खुशी को भुला देने के लिए मजबूर हो गए हैं

इन बच्चों को स्कूली शिक्षा की प्राप्ति का नहीं हुई है और जीवन में इनको बचपन से ही मजदूरी करनी पड़ी है इन बच्चों को स्कूली शिक्षा से दूर रखा गया है

अनीस जंग बच्चों को शिक्षित कर बाल मजदूरी को खत्म करने और सरकारों द्वारा बाल मजदूरी के लिए खिलाफ कानूनों को शक्ति से लागू करने के लिए आवाज उठाते हैं

वह कहती है कि बाल शोषण को समाप्त किया जाए और बच्चों को बचपन के उन दिनों का आनंद लेने दे जो उनके जीवन में खुशी लाते हैं उनकी यादों में रह जाते हैं और उनको बड़े होने पर याद आते हैं।

लॉस्ट स्प्रिंग – लेखिका रोज सुबह किसको आते जाते देखती थी?

लेखिका ( लॉस्ट स्प्रिंग )का रोज सुबह साहेब नाम के एक लड़के को आते जाते देखती थी जिसके पैरों में ना तो चप्पल ही रहती थी और उसके साथ दो और सहपाठी रहते थे जो उसके बेहद करीबी दोस्त हैं

उनके पास भी चप्पल नहीं थी एक के पास थी तो लेकिन वह अलग-अलग पैर की थी और एक के पास इतनी फटी हुई चप्पल थी जिसका कोई हिसाब नहीं उन लोगों के लिए एक नई चप्पल खरीदना है बेहद मुश्किल काम था अगर उन्हें कोई एक नई चप्पल दे दे तो नहीं लगता था

कोई खजाना मिल गया हो कूड़े में पड़ी हुई पुरानी टूटी फूटी चप्पल को पहन कर काम चलाया करते थे।


साहेब कौन था?

साहेब का पूरा नाम साहिबे आलम था। इसका इसका मतलब क्या अर्थ होता है ब्रम्हांड के राजा लेकिन गरीब लड़का अपने जैसे अन्य गरीब लड़कों के साथ नंगे पैर सड़कों पर भटकता था।

लेखिका ने साहेब के दोस्तों से जब बात की तो उसे उनके बारे में क्या पता चला?

लेखिका ने साहेब के अन्य साथियों से बात की तो उसे पता चला कि नंगे पांव वाले लड़कों में से एक ने बताया कि उसकी मां उसकी चप्पल को ना नाक से नीचे नहीं लाएगी

उनमें से एक ने जूते पहने हुए थे हालांकि वे महल नहीं खाते थे एक और लड़का जिसने कभी चप्पल नहीं पहनी थी काश किसके पास 1 जोड़ी जूते होते।

साहेब (लॉस्ट स्प्रिंग )और उसके दोस्तों का घर कहां था?

कूड़ा बीनने वाले सीमापुरी में रहते थे इसलिए लेखिका वहां गई। सीमापुरी दिल्ली के बहुत करीब है लेकिन दोनों के बीच में दुनिया की जगह से एक बहुत बड़ा अंतर है।

लॉस्ट स्प्रिंग – साहेब का परिवार कहां से था और कहां आया था?

कूड़ा बीनने वालों के अन्य परिवारों की तरह साहिब का परिवार भी 1971 में बांग्लादेश से आया था वह वहां आए क्योंकि उनके घर और खेत तूफान से नष्ट हो गए थे उनके पास रहने के लिए कुछ भी नहीं था इसीलिए उन्हें मजबूरन भारत के सीमापुरी नामक गांव में आकर कूड़ा बीनने का काम करना पड़ा।

सीमापुरी रहने वाले कूड़ा बीनने वाले लोग किस तरह रहते थे?


सीमापुरी में लगभग 10,000 कूड़ा बीनने वाले लोग रहते थे वे तीन और त्रिपाल से बनी छात्रों के साथ काली मिट्टी की संरचना में रहते थे

उनके पास मल जल प्राणी और बहते पानी जैसी सभी प्राथमिक नागरिक सुविधाओं का अभाव था सीमापुरी में रहने में उन्हें अपना वोट देने का और भोजन बनने में मदद मिलती है वे आगे बढ़ते हैं जहां अभी भी भोजन पा सकते हैं वह अपने टेंट गाड़ देते हैं कूड़ा बिना उनकी आजीविका कमाने का एकमात्र साधन है

इसीलिए कूड़ा बिना उनका मुख्य व्यवसाय है और उसी से वह अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं।

साहेब को कौन सा खेल पसंद है?

लेखिका 1 दिन प्रातः काल के समय साहेब को पड़ोस के एक क्लब के फाटक पर खड़ा हुआ पाती है वह 2 युवाओं को टेनिस खेलता हुआ देख रहा है

उन्होंने सफेद कपड़े पहन रखे हैं साहेब को खेल पसंद है लेकिन वह इसे फाटक के पीछे खड़े होकर देखना पसंद करता है साहेब ने किसी के द्वार द्वारा फेंके हुए टेनिस जूते पहने हुए हैं जो उसकी फैक्ट्री की शर्ट और शॉर्ट्स पर अजीब लग रहा है जो नंगे पैर चला है उसके लिए छेद वाले जूते भी एक सपने के सच होने जैसा है लेकिन टेनिस उसकी पहुंच से बाहर है।

साहेब का काम क्या था?

साहेब दूध की दुकान के लिए रवाना हो रहा है उसके हाथ में किस तेल का कनस्तर है वह एक चाय की दुकान में काम करता है जहां उसे ₹800 और तीन समय का खाना दिया जाता है साहब अब अब अपनी मर्जी से क मालिक नहीं है वह चिंता मुक्त दिखना बंद हो गया है मैं चाय की दुकान पर काम करके खुश नहीं लगता है।

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